Wednesday, May 27, 2009

ashtak

शंकर भाष्य के अनुसार छः अष्टक इस प्रकार है ।
१- आठ प्रकार की प्रकीर्ति अर्थार्त पिर्थीवी, जल , अग्नि, वायु , आकाश, मन, बुधि, अंहकार ।
२- शरीरगत आठ धातुए - त्वचा , चमरी, मांस , रक्त, मेद, हडी, मज्जा , और वीर्य ।
३- अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रक्मय , एशिवीत्य और वशित्य ये आठ प्रकार के एश्वर्य ।
४- धर्म , ग्यान, वैराग्य , एश्यर्य, अधर्म , अज्ञान , अवैराग्य , और अनैच्यार ये आठ प्रकार के भावः ।
५- ब्रह्मा, प्रजापति, देव, गन्धर्व, यक्ष , राक्षस , पितृ , और पिसाच ये आठ प्रकार के देव योनिया ।
६- समस्त प्राणियों के प्रति दया , क्षमा , अन्सुएया ( निंदा न करना ) शौच ( बहार भीतर की पबित्र्ता ) अनायास , मंगल , अकिर्पनता ( उदारता) और अस्प्रिहा ये आत्मा के आठ गुन ।

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