Monday, May 25, 2009

परिचय

परिचय हमारा तू क्या पूछता ?
आप ही तो हु मै , गैर कोई नही ।
है बीमारी, जो चश्मे की , उसको मिटा ।
देख बाबा के आँखों के तारे है हम ।
है यही "अनंतपथ " हमारा असीमित धारा ।
फ़िर पता पूछते हो की कहाँ के है हम ?
इसके आगे नही होश क्या है पता ।
पूछते हो की अपने सगे कौन है ?
क्या बताये कही वो तुम्ही तो नही ।
मजहब हमारा तू क्या पूछता ?
कयों न अपने लहू से कभी पूछा कभी ,
"अनंतपथ" का क्या है पता ?
आ जुड़ जा अनंतपथ के साथ
अनंतपथ ही बताएगी तुझे अनंतपथ का पता .

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